रूपक अलंकार किसे कहते हैं?
आज हम इस आर्टिकल में हिंदी व्याकरण के अंतर्गत अलंकार के अध्याय में से रूपक अलंकार के बारे में जानेगे। रूपक अलंकार का उपयोग जहां पर उपमा एवं उपमेंय में कोई अंतर न दिखाई दे अर्थात यहां पर उपमेंय में एवं उपमान के अंतर को समाप्त करके एक दिखाया जाता है वहां पर रूपक अलंकार होता है। तो हम इस लेख में रूपक अलंकार की परिभाषा उसके प्रकार एवं उसके उदाहरण को पढ़ेगे। तो चलिए शुरू करते हैं रूपक अलंकार की परिभाषा.
रूपक अलंकार की परिभाषा
रूपक अलंकार का उपयोग जहां पर उपमा एवं उपमेंय में कोई अंतर न दिखाई दे अर्थात यहां पर उपमेंय में एवं उपमान के अंतर को समाप्त करके एक दिखाया जाता है वहां पर रूपक अलंकार होता है। दूसरे शब्दों में जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेंय को ही उपमान बता दिया जाए अर्थात उपमेंय एवं उपमान कोई अंतर ना दिखाई दे वहा पर रूपक अलंकार होता है।
रूपक अलंकार के उदाहरण
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
उदाहरण में ही राम रतन को ही धन बताया गया है।’राम रतन ‘- उपमेंय पर धन – उपमान का आरोप है।
उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत-सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।।
बीती विभावरी जाग री,
अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट उषा-नागरी।
रूपक अलंकार के लिए आवश्यक तीन बाते
1 उपमेंय को उपमान का रूप देना
2 वाचक पद का लोप
3 उपमेंय का भी साथ साथ वर्णन
रूपक अलंकार के प्रकार
रूपक अलंकार के तीन प्रकार होते है।
1 सम रूपक अलंकार
2 अधिक रूपक अलंकार
3 न्यून रूपक अलंकार
1 सम रूपक अलंकार :- जिस रूपक अलंकार मे उपमेंय एवं उपमान की समानता दिखाई देती है। वहा पर सम रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण
बीती विभावरी जागरी
अम्बर-पनघट में डुबा रही, तारघट उषा – नागरी।
2 अधिक रूपक अलंकार :- रूपक अलंकार में उपमेंय एवं उपमान की तुलना मे न्यूनतम का बोध होता है।वहा पर अधिक रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण
जनम सिन्धु विष बन्धु पुनि, दीन मलिन सकलंक
सिय मुख समता पावकिमि चन्द्र बापुरो रंक।।
3 न्यून रूपक अलंकार :- जिस रूपक अलंकार में उपमेंय एवं उपमान की तुलना मे न्यून दिखाया जाता है। वहा पर न्यून अलंकार होता है।
रूपक अलंकार के अन्य उदाहरण
बीती विभावरी जाग री,
अम्बर-पनघट में डुबो रही,
तारा-घट उषा-नागरी।
उदित उदय गिरी मंच पर,
रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत-सरोज सब,
हरषे लोचन भ्रंग।।
महिमा-मृगी कौन सुकृति की,
खल-वच-विसिख न बाँची?
FAQ
लाटानुप्रास अलंकार किसे कहते है?
लाटा शब्द समूह को दर्शाता है . अर्थात जहां पर एक शब्द या अर्थ की आवृत्ति होती है वहा पर लाटानुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण
पूत सपूत तो का धन संचय।
पूत कपूत तो का धन संचय।।
अन्त्यानुप्रास अलंकार किसे कहते है?
जहां पर पंक्तिया या पदों के अंत एक ही समान वर्ण से होते हैं वहा पर अन्त्यानुप्रास अलंकार
होता है।
उदाहरण
रघुपति राघव राजा राम।
पतित के पावन सीताराम।।
अधिक रूपक अलंकार किसे कहते है?
अधिक रूपक अलंकार :- रूपक अलंकार में उपमेंय एवं उपमान की तुलना मे न्यूनतम का बोध होता है।वहा पर अधिक रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण
जनम सिन्धु विष बन्धु पुनि, दीन मलिन सकलंक
सिय मुख समता पावकिमि चन्द्र बापुरो रंक।।
रूपक अलंकार के प्रकार कितने होते है?
रूपक अलंकार के तीन प्रकार होते है।
1 सम रूपक अलंकार
2 अधिक रूपक अलंकार
3 न्यून रूपक अलंकार
रूपक अलंकार की परिभाषा क्या है?
रूपक अलंकार का उपयोग जहां पर उपमा एवं उपमेंय में कोई अंतर न दिखाई दे अर्थात यहां पर उपमेंय में एवं उपमान के अंतर को समाप्त करके एक दिखाया जाता है वहां पर रूपक अलंकार होता है। दूसरे शब्दों में जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेंय को ही उपमान बता दिया जाए अर्थात उपमेंय एवं उपमान कोई अंतर ना दिखाई दे वहा पर रूपक अलंकार होता है।
Conclusion
दोस्तों हमने इस लेख में भी रूपक अलंकार की परिभाषा एवं उसके उदाहरण को समझा अगर आपको इस लेख में कोई सुझाव देना हो तो मैं कमेंट करके जरूर बताएं. अगर हमारी पोस्ट अच्छी लगी है इसे शेयर करना ना भूले।
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