Vyanjan Kitne Hote hain
दोस्तों हिंदी व्याकरण में 33 Vyanjan होते हैं। हम इस आर्टिकल में 33 व्यंजनों की जानकारी आपको देंगे एवं उससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां सर्टिकन मिली जा रहे हैं। अब आप जैसे जानते हैं कि की हिंदी व्याकरण बहुत विस्तृत है। हिंदी में रंजन के तीन भेद होते हैं स्पर्श व्यंजन , अंतस्थ व्यंजन और ऊष्म व्यंजन होते है।
Vyanjan की परिभाषा
वे वर्ण जो स्वरों की सहायता से बोले जाते है सभी Vyanjan के बोलने पर अ स्वर मिलता है।इनका उच्चारण करने पर मुँह से निकलने बाली वायु मे रुकावट होती है।प्रत्येक Vyanjan अ से मिलकर बनता है हिंदी मे Vyanjan की सख्या 33 होती है एवं इनके तीन प्रकार होते है।
Vyanjan कितने प्रकार के होते है।
हिंदी व्याकरण मे Vyanjan तीन प्रकार के होते है।
1 स्पर्श व्यंजन
2 अन्तस्थ व्यंजन
3 ऊष्म व्यंजन
1 स्पर्श व्यंजन :- जिन व्यंजन का उच्चारण करते समय हमारी जीभ मुख के भीतर कई भागो से टकराती है।उन्हें स्पर्श Vyanjan कहते है। इनकी संख्या 22 है. जिन्हे 5 भागो मे बता गया है।ये क से लेकर म तक होते है।
क वर्ग- क ख ग घ ङ
च वर्ग- च छ ज झ ञ
ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण
त वर्ग- त थ द ध न
प वर्ग- प फ ब भ म
2 अन्तस्थ Vyanjan :- जिन वर्णों का उच्चारण करते समय हमारी जीभ मुख के भीतरी भाग को मामूली सा स्पर्श करती है. अर्थात जिनका उच्चारण स्वरों एवं व्यंजनों के बीच में हूं। इनकी संख्या 4 होती है.य,र, ल,व।
इन 4 वर्णों मे से व को अर्ध स्वर या संघर्ष हीन वर्ण के नाम से जाना जाता है. क्योंकि यहां स्वरों की भाती उच्चारित किया जाता है।
3 ऊष्म व्यंजन :- जिन वर्णों का उच्चारण करते समय हवा मुख के विभिन्न भागों से टकराती हुई बाहर आती है। तथा बोलने पर गर्मी उत्पन्न होती है उने उष्म व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या भी चार है. श, स, ह ष है।
व्यंजन एवं उनके अन्य प्रकार
उत्क्षिप्त Vyanjan :- बे वर्ण का जिनका उच्चारण जीभ के अग्रभाग के झटके द्वारा होता है उत्क्षिप्त Vyanjan कहलाता है। इन्हे दिगुणी व्यंजन भी कहते हैं। इनकी संख्या दो होती है . ड़ और ढ़। यह हिंदी द्वारा विकसित किए गए हैं।
संयुक्त Vyanjan :- संयुक्त Vyanjan दो या दो से अधिक व्यंजनों. के मेल से बनते हैं। उनकी संख्या 4 होती है। क्ष, त्र, ज्ञ, श्र।
संयुक्त Vyanjan के उदाहरण
क् + ष = क्ष
त् + र = त्र
ज् + ञ = ज्ञ
श् + र = श्र
विसर्ग :- विसर्ग का प्रयोग स्वरों के बाद किया जाता है. इनका प्रयोग का संस्कृत में किया जाता है। फिर भी हम निम्न प्रकार से इनका प्रयोग कर सकते हैं.
प्रायः, प्रातः, अंतः करण, दु:ख इत्यादि।
चंद्रबिंदु :- यह हिंदी की अपनी धोनी है इसका प्रयोग संस्कृत में नहीं किया जाता है। इसका उच्चारण करते समय हवा मुख्य एवं नाक दोनों से निकलती है।
उदाहरण के रूप में :- गावँ, पावँ, बाँध, चाँद इत्यादि।
व्यंजनों का वर्गीकरण निम्न आधार पर किया गया है
1 उच्चारण स्थान के आधार पर
2 उच्चारण प्रत्यन आधार स्पष्श पर
3 उच्चारण प्रयत्न ( बाह्य प्रयत्न) के आधार पर –
घोष :-
अघोष :-
अल्पप्राण :-
महाप्राण
4 पेशीय तनाव के आधार पर
इस प्रकार से हमने हिंदी के व्यंजनों के वर्गीकरण के आधार को समझा है।अगर आप कौन से संबंधित कोई भी समस्या या डाउट हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
हिंदी व्याकरण संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न FAQ
हिंदी में व्यंजन कितने होते हैं?
हिंदी में व्यंजनों की संख्या 33 होती है. यदि इनमे दिगुणी व्यंजन में जोड़ दें तो उनकी संख्या 35 होगा जाती है।
व्यंजन के कितने भेद होते हैं ?
हिंदी व्याकरण में व्यंजन के तीन प्रकार होते हैं
1 स्पर्श व्यंजन
2 अन्तस्थ व्यंजन
3 ऊष्म व्यंजन
जो ध्वनिया ना तो स्वर होती है ना तो व्यंजन बे क्या कहलाती है?
ऐसी ध्वनिया ना तो स्वर होती है ना तो व्यंजन बे आयोगवह कहलाती है. हिंदी वर्णमाला मैन का प्रयोग स्वरों के बाद एव व्यंजनों के बाद किया जाता है।
हिंदी में स्वरों की संख्या कितनी होती है?
हिंदी में स्वरों की संख्या 11 होती है.अ,आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः।
हिंदी में व्यंजन की संख्या कितनी होती है एवं उनके नाम?
व्यंजनों की संख्या 33 है :- क ख ग घ ड़, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह ।
Conclusion
इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं एवं उनके भेद एवं से संबंधित संपूर्ण जानकारी हमने इस आर्टिकल में दी है. आशा है कि आप इसे अच्छे समझ गए होंगे. ऑफिस के साथ-साथ अन्य हिंदी व्याकरण से संबंधित कुछ प्रश्न भी आपको बताए हैं अगर आपको डाउट हो तो कमेंट करके जरूर बताएं।
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