वर्ण किसे कहते हैं?

दोस्तों अगर आप भी हिंदी ग्रामर सीखना चाहते या उसे समझना चाहते है। तो आपको सबसे पहले आपको वर्ण का टॉपिक सीखना होगा क्योंकि वर्ण ही हिंदी ग्रामर का मूल आधार है। यह एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आपको यह टॉपिक सीखना बहुत जरूरी होता है । तो चलिए आज हम शुरू करते हैं  वर्ण क्या है , उसके प्रकार, एवं भेद को समझेंगे। हिंदी व्याकरण के मुख्य प्रकार से तीन भेद हैं वर्ण शब्द और वाक्य जिसमे से आज हम वर्ण को पड़ेगे।

वर्ण किसे कहते है?

वर्ण किसे कहते है?

वर्ण की परिभाषा :- ध्वनि के सबसे सूक्ष्म रूप को जिन्हे की आगे बिभाजित नही करा जा सकता है उन्हें वर्ण कहा जाता है।भाषा की ध्वनि लिखने के लिए हम हम कुछ चिन्हो का प्रयोग करते है. जिनें हम हिंदी लिपि के नाम से जानते है तो उन्हें ही हम वर्ण कहते है जैसे क ख  ग आदि।

वर्ण के लिखित रूप. को हम अक्षर एवं मौखिक रूप को ध्वनि कहते है यदि किसी शब्द को वर्ण की बारे मे पता करना है तो uska बिभाजन करना होगा।

आप शब्दो का बिभाजन कर पायगे लेकिन वर्ण का नही कर पायगे यह भाषा की सबसे छोटी इकाई है जिसे बिभाजित नही किया जा सकता है।

वर्णमाला किसे कहते है?

वर्णमाला किसे कहते है?

ध्वनि के बे चिन्ह जिनें हम वर्ण कहते है उनके एक सही और व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते है।दुनिया की हर भाषा की अपनी एक अलग वर्णमाला होती है किसी भी भाषा को लिखने के लिए वर्णमाला की जरुरत पड़ती है एवं बोलने के लिए उनके उच्चारण की जरुरत होती है।

वर्ण के भेद :-

हिंदी व्याकरण के अनुसार वर्ण के दो भेद होते हैं ।

1 स्वर

2 व्यंजन

स्वर किसे कहते है?

स्वर किसे कहते है?

स्वर ऐसी ध्वनि होती है जिनके बोलने के लिए एवं उच्चारण के लिए  किसी अन्य ध्वनि की आवश्यकता नहीं पड़ती है।हम किसी अन्य स्वर का प्रयोग करके ना करके अन्य स्वर बोल सकते है। हिंदी व्याकरण में कुल 11 स्वर है।

: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।

अब स्वर के तीन प्रकार होते है।

ह्रस्व स्वर

दीर्घ स्वर

प्लुत स्वर

ह्रस्व स्वर:- यह ऐसा स्वर है जिसके उच्चारण में बहुत कम समय लगता है।यह एकमात्रिक स्वर होता है।

जैसे की: अ, इ, उ, ऋ

दीर्घ स्वर :- यह ऐसे स्वर होते हैं जिनकी उच्चारण में ह्रस्व स्वर की अपेक्षा 2 गुना समय लगता है।

जैसे की: आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ आदि।

प्लुत स्वर :- यह ऐसे स्वर होते हैं  जिनके बोलने मे दीर्घ स्वर की अपेक्षा थोड़ा ज्यादा समय लगता है हिंदी मे इनका उपयोग नही किआ जाता है।ये संस्कृत मे उपयोगी होते है।

जैसे की :-  ओउम

व्यंजन किसे कहते है?

व्यंजन किसे कहते है?

व्यंजन की परिभाषा :- वे वर्ण जो स्वरों की सहायता से बोले जाते है सभी व्यंजन के बोलने पर अ स्वर मिलता है।इनका उच्चारण करने पर मुँह से निकलने बाली वायु मे रुकावट होती है।प्रत्येक व्यंजन अ से मिलकर बनता है हिंदी मे व्यंजन की सख्या 33 होती है एवं इनके तीन प्रकार होते है।

व्यंजन कितने प्रकार के होते है।

हिंदी व्याकरण मे व्यंजन तीन प्रकार के होते है।

1 स्पर्श व्यंजन

2 अन्तस्थ व्यंजन 

3 ऊष्म व्यंजन

1 स्पर्श व्यंजन :- जिन व्यंजन का उच्चारण करते समय हमारी जीभ मुख के भीतर कई भागो से टकराती है।उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते है। इनकी संख्या 22 है. जिन्हे 5 भागो मे बता गया है।ये क से लेकर म तक होते है।

क वर्ग-   क ख ग घ ङ

च वर्ग-   च छ ज झ ञ

ट वर्ग-   ट ठ ड ढ ण

त वर्ग-   त थ द ध न

प वर्ग-   प फ ब भ म

2 अन्तस्थ व्यंजन :- जिन वर्णों का उच्चारण करते समय हमारी जीभ मुख के भीतरी भाग को  मामूली सा स्पर्श करती है. अर्थात जिनका उच्चारण स्वरों एवं व्यंजनों के बीच में हूं। इनकी संख्या 4 होती है.य,र, ल,व।

 इन 4 वर्णों मे से व को अर्ध स्वर या संघर्ष  हीन वर्ण के नाम से जाना जाता है. क्योंकि यहां स्वरों की भाती उच्चारित किया जाता है।

3 ऊष्म व्यंजन :- जिन वर्णों का उच्चारण करते समय हवा मुख के विभिन्न भागों से टकराती हुई बाहर आती है। तथा बोलने पर गर्मी उत्पन्न होती है  उने उष्म व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या भी चार है. श, स, ह ष है।

व्यंजन एवं उनके अन्य प्रकार  :-

उत्क्षिप्त व्यंजन :- बे वर्ण का जिनका उच्चारण जीभ के अग्रभाग के झटके द्वारा होता है उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाता है। इन्हे दिगुणी व्यंजन  भी कहते हैं। इनकी संख्या दो होती है .  ड़ और ढ़। यह हिंदी द्वारा विकसित किए गए हैं।

संयुक्त व्यंजन :- संयुक्त व्यंजन दो या दो से अधिक व्यंजनों. के मेल से बनते हैं। उनकी संख्या 4 होती है। क्ष, त्र, ज्ञ, श्र।

संयुक्त व्यंजन के उदाहरण  

क् + ष = क्ष

त् + र = त्र

ज् + ञ = ज्ञ

श् + र = श्र

विसर्ग :- विसर्ग का प्रयोग स्वरों के बाद किया जाता है. इनका प्रयोग का संस्कृत में किया जाता है। फिर भी हम निम्न प्रकार से इनका प्रयोग कर सकते हैं.

प्रायः,  प्रातः,  अंतः करण,  दु:ख  इत्यादि।

चंद्रबिंदु  :- यह हिंदी की अपनी धोनी है इसका प्रयोग संस्कृत में नहीं किया जाता है। इसका उच्चारण करते समय हवा मुख्य एवं नाक दोनों से निकलती है।

उदाहरण के रूप में :- गावँ, पावँ, बाँध, चाँद इत्यादि।

व्यंजनों का वर्गीकरण निम्न आधार पर किया गया है :-

1 उच्चारण  स्थान के आधार पर 

2 उच्चारण प्रत्यन आधार स्पष्श पर

3 उच्चारण प्रयत्न ( बाह्य प्रयत्न)  के आधार पर –

घोष :-

अघोष :-

अल्पप्राण :-

महाप्राण

4 पेशीय तनाव के आधार पर

FAQ

 हिंदी व्याकरण में स्वरों की संख्या कितनी है?

हिंदी व्याकरण में स्वरों की संख्या 11 है।

दी व्याकरण में व्यंजन की संख्या कितनी है?

हिंदी व्याकरण में व्यंजनों की संख्या 33 है।

वर्णमाला किसे कहते हैं?

ध्वनि के बे चिन्ह जिनें हम वर्ण कहते है उनके एक सही और व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते है।दुनिया की हर भाषा की अपनी एक अलग वर्णमाला होती है किसी भी भाषा को लिखने के लिए वर्णमाला की जरुरत पड़ती है

हिंदी में कितने प्रकार के काल होते हैं?

हिंदी व्याकरण में तीन प्रकार के काल होते हैं.
वर्तमान काल
भूतकाल
भविष्य काल

हिंदी में रसों की संख्या कितनी है?

हिंदी में रसों की संख्या 10 है।

Conclusion

दोस्तों हमने इस आर्टिकल में  वर्णों से संबंधित समस्त प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराई है। अगर आपको इसके संबंध मे कोई. डाउट हो तो हमें कमेंट करके जरूर हम आपका रिप्लाई जरुर करेंगे।

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